देव उठनी à¤à¤•ादशी जिसे पà¥à¤°à¤¬à¥‹à¤§à¤¨à¥€ à¤à¤•ादशी à¤à¥€ कहा जाता हैं तथा इसे पापमà¥à¤•à¥à¤¤ करने वाली à¤à¤•ादशी माना जाता है। सà¤à¥€ à¤à¤•ादशी पापो से मà¥à¤•à¥à¤¤ होने हेतॠकी जाती हैं। लेकिन इस à¤à¤•ादशी का महतà¥à¤µ बहà¥à¤¤ अधिक माना जाता हैं। राजसूरà¥à¤¯ यजà¥à¤ž करने से जो पà¥à¤£à¥à¤¯ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती हैं उससे कई अधिक पà¥à¤£à¥à¤¯ देवउठनी अथवा पà¥à¤°à¤¬à¥‹à¤§à¤¨à¥€ à¤à¤•ादशी का होता हैं।
इस दिन से चार माह पूरà¥à¤µ देव शयनी à¤à¤•ादशी के दिन à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ à¤à¤µà¤® अनà¥à¤¯ देवता कà¥à¤·à¥€à¤°à¤¸à¤¾à¤—र में जाकर सो जाते हैं। इसी कारण इन दिनों बस पूजा पाठतप à¤à¤µà¤® दान के कारà¥à¤¯ होते हैं। इन चार महीनो में कोई बड़े काम जैसे शादी, मà¥à¤‚डन संसà¥à¤•ार, नाम करण संसà¥à¤•ार आदि नहीं किये जाते हैं. यह सà¤à¥€ कारà¥à¤¯ देव उठनी पà¥à¤°à¤¬à¥‹à¤§à¤¨à¥€ à¤à¤•ादशी से शà¥à¤°à¥‚ होते हैं।
कारà¥à¤¤à¤¿à¤• माह में शà¥à¤•à¥à¤² पकà¥à¤· की गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¸ के दिन देव उठनी गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¸ अथवा पà¥à¤°à¤¬à¥‹à¤§à¤¿à¤¨à¥€ à¤à¤•ादशी मनाई जाती हैं। यह दिन दिवाली के गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¹à¤µà¥‡ दिन आता हैं. इस दिन से सà¤à¥€ मंगल कारà¥à¤¯à¥‹ का पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठहोता हैं।
हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤® में à¤à¤•ादशी वà¥à¤°à¤¤ का महतà¥à¤µ सबसे अधिक माना जाता हैं। इसका कारण यह हैं कि उस दिन सूरà¥à¤¯ à¤à¤µà¤® अनà¥à¤¯ गृह अपनी सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¥€ में परिवरà¥à¤¤à¤¨ करते हैं, जिसका मनà¥à¤·à¥à¤¯ की इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ पड़ता हैं। इन पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ में संतà¥à¤²à¤¨ बनाये रखने के लिठवà¥à¤°à¤¤ का सहारा लिया जाता हैं। वà¥à¤°à¤¤ à¤à¤µà¤® धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ में संतà¥à¤²à¤¿à¤¤ रहने का गà¥à¤£ विकसित करते हैं।
पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ में लिखा हैं कि इस दिन गंगा सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ का विशेष महतà¥à¤µ होता हैं, इस दिन उपवास रखने का पà¥à¤£à¥à¤¯ कई तीरà¥à¤¥ दरà¥à¤¶à¤¨, हजार अशà¥à¤µà¤®à¥‡à¤˜ यजà¥à¤ž à¤à¤µà¤® सौ राजसूरà¥à¤¯ यजà¥à¤ž के तà¥à¤²à¥à¤¯ माना गया हैं। इस दिन के महतà¥à¤µ को सà¥à¤µà¤¯à¤‚ बà¥à¤°à¤®à¥à¤¹à¤¾ जी ने नारद मà¥à¤¨à¤¿ को बताया था, उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा था इस दिन à¤à¤•ाशà¥à¤¨à¤¾ करने से à¤à¤• जनà¥à¤®, रातà¥à¤°à¤¿ à¤à¥‹à¤œ से दो जनà¥à¤® à¤à¤µà¤® पूरà¥à¤£ वà¥à¤°à¤¤ पालन से साथ जनà¥à¤®à¥‹-जनà¥à¤®à¥‹ के पापो का नाश होता हैं। इस दिन से कई जनà¥à¤®à¥‹ का उदà¥à¤§à¤¾à¤° होता हैं à¤à¤µà¤® बड़ी से बड़ी मनोकामना पूरी होती हैं।
इस दिन रतजगा करने से कई पीढियों को मरणोपरांत सà¥à¤µà¤°à¥à¤— मिलता हैं। जागरण का बहà¥à¤¤ अधिक महतà¥à¤µ होता है, इससे मनà¥à¤·à¥à¤¯ इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर विजय पाने योगà¥à¤¯ बनता हैं।
इस वà¥à¤°à¤¤ की कथा सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ à¤à¤µà¤® पढने से 100 गायो के दान के बराबर पà¥à¤£à¥à¤¯ मिलता हैं। किसी à¤à¥€ वà¥à¤°à¤¤ का फल तब ही पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता हैं जब वह नियमावली में रहकर विधि विधान के साथ किया जाये। इस पà¥à¤°à¤•ार बà¥à¤°à¤®à¥à¤¹à¤¾ जी ने इस उठनी गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¸ अथवा पà¥à¤°à¤¬à¥‹à¤§à¤¿à¤¨à¥€ à¤à¤•ादशी वà¥à¤°à¤¤ का महतà¥à¤µ नारद जी को बताया à¤à¤µà¤® पà¥à¤°à¤¤à¤¿ कारà¥à¤¤à¤¿à¤• मास में इस वà¥à¤°à¤¤ का पालन करने को कहा।
उठनी गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¸ अथवा पà¥à¤°à¤¬à¥‹à¤§à¤¿à¤¨à¥€ à¤à¤•ादशी वà¥à¤°à¤¤ पूजा विधि।
इस दिन सूरà¥à¤¯à¥‹à¤¦à¤¯ से पूरà¥à¤µ उठकर नितà¥à¤¯à¤•रà¥à¤®, सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ आदि करना चाहिये। सूरà¥à¤¯à¥‹à¤¦à¤¯ के पूरà¥à¤µ ही वà¥à¤°à¤¤ का संकलà¥à¤ª लेकर पूजा करके सूरà¥à¤¯à¥‹à¤¦à¤¯ होने पर à¤à¤—वान सूरà¥à¤¯ देव को अरà¥à¤§à¥à¤¯ अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करते हैं। अगर सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ के लिठनदी अथवा कà¥à¤à¤ पर जाये तो अधिक अचà¥à¤›à¤¾ माना जाता हैं। इस दिन निराहार वà¥à¤°à¤¤ किया जाता हैं दà¥à¤¸à¤°à¥‡ दिन बारस को पूजा करके वà¥à¤°à¤¤ पूरà¥à¤£ माना जाता हैं à¤à¤µà¤® à¤à¥‹à¤œà¤¨ गà¥à¤°à¤¹à¤£ किया जाता हैं। इस दिन बैल पतà¥à¤°, शमी पतà¥à¤° à¤à¤µà¤® तà¥à¤²à¤¸à¥€ चढाने का महतà¥à¤µ बताया जाता हैं। उठनी गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¸ अथवा पà¥à¤°à¤¬à¥‹à¤§à¤¿à¤¨à¥€ à¤à¤•ादशी के दिन तà¥à¤²à¤¸à¥€ विवाह का विशेष महतà¥à¤µ होता हैं.
November 15, 2021
November 05, 2021
November 05, 2021